आज तूफ़ान उठा है कुछ ऐसा इस दिल में के वो बरस के चले गए, छाता लेकर निकले थे घर से हम पर वो भिगो कर ही चले गए !!
अपनों ने बहुत कहा और हमने भी बहुत सहा , मानी ना कभी उनकी और जोर अपना भी ना चला,
समंदर के उस पार वो थे, और साहिल भी हमारा ना बना !!
सुना
है आत्मा अमर है और शरीर नश्वर, पर अब तक के जीवन में ऐसा लगा है की आत्मा
कई बार मर चुकी है और शरीर चल रहा है..ऐसा क्यूँ होता है और ऐसा क्यूँ
लगता है?
की किसी के प्यार में हमने गुजार दी हसींन जिंदगी
समंदर के साहिल पर ही !!