रविवार, 3 मई 2015

किसने लिखी तेरी किस्मत ...

प्यार शब्द कहने और सुनने में बहुत ही अच्छा और सुखमयी लगता है परन्तु जब यही प्यार किसी लड़के को किसी की बेटी या बहन के साथ हो जाता है, तो लड़की के घर वालों को ये एकदम भोंडा असमाजिक असभ्य और बेशर्म क्यूँ लगने लगता है ?
या यूं कहूँ की प्यार हमेशा दुसरे की बहन बेटी के साथ ही अच्छा लगता है, मगर जब यही प्यार कोई हमारी बहन , बेटी के साथ करता है तो हम उसे मारने पीटने पर उतारू क्यूँ हो जाते हैं ?
क्या कोई बता सकता है ऐसा क्यूँ होता है ? एक लड़की माँ बाप के साए में हंसती खेलती बड़ी होती है धीरे धीरे उसकी पढाई पूरी होने लगती है तो माँ बाप उसके लिए अच्छा रिश्ता तलाशने लगते हैं, जैसे की हर माँ बाप का ख्वाब होता है की उनकी बेटी को दुनिया में सबसे अच्छा दामाद मिले अच्छा संसार मिले बहुत खुशियाँ मिलें यानि वो चाहते हैं बेटी को पूरी उम्र कोई दुःख ना मिले , इसी सिलसिले में रिश्ते दारों को भी बेटी के लिए अच्छा वर ढूँढने में मदद करने के लिए कहा जाता है , मगर रिश्तेदार तो अपना फर्ज निभायेंगे उनको अच्छे बुरे से कुछ ख़ास फर्क नहीं उनको बस अपना फर्ज निभाना है मामा होने का चाचा होने का फूफा होने का बस फिर चाहे लड़का जैसा भी हो बस लड़का होना चाहिए , अगर लड़के को लड़की पसंद आ गई तो शादी कर ही डालो पर लड़की को लड़का पसंद नहीं और उसने मन्हा कर दिया तो लड़की का चरित्र खराब लड़की चालू लड़की ओवर र्स्मार्ट ना जाने क्या क्या सुनाया जाएगा लड़की समेत लड़की के घर वालों को ...मामा कहेगा अपनी बहन से तुमने इसे मोबाईल दिला रखा है जरुर किसी से चक्कर होगा मेरी होती तो में आग लगाकर ज़िंदा जला देता गोली मार देता वगेराह वगेराह..
और अगर यही बात लड़के की और से होती तो क्या किसी में हिम्मत होती पूछने की लड़के से की क्यूँ पसंद नहीं आई तेरे को ?? कोई कहेगा की लड़के के पास मोबाईल है इसका किसी के साथ चक्कर है ? नहीं फिर तो लड़के की चाहे 10 महिला मित्र भी होंगी तो भी चलेगा क्यूंकि वो लड़का है वो पुरुष है ,सब यही कहेंगे  चलो कोई बात नहीं लड़की की किस्मत में नहीं था और जहाँ होना होगा वहीँ होगा कोई और देखते हैं ...
और मानो घर वालों के कहने पे लड़की ने अपनी भावनाओं की कुर्बानी देकर भी शादी कर ली तो आगे चल कर लड़की को परेशानी हुई तो यही रिश्तेदार फिर लड़की की किस्मत का हवाला देकर उसे समाज के दर्द भरे दलदल के जीवन में धकेल देते और लड़की तमाम उम्र अपने उस पल को कोसती रहती जिस पल उसने अपने अरमानो की बलि दे दी थी ..वो जरुर सोचती की काश मेने एक पल हिम्मत दिखाकर मन्हा कर दिया होता तो आज मेरा हाल ये ना होता परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी होती ....
समाज हमेशा दोगली चालें चलता है ..दोगली बाते करता है पर ध्यान रहे ये दूसरों के लिए दूसरों के साथ अपने लिए नहीं अपने साथ नहीं ..!!

         
                                                                                                                  ........संजय राणा


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